बे-ख़ताओं को गिरफ़्तार किया हो तो बता हम ने ऐसा कभी ऐ यार किया हो तो बता रू-ब-रू तेरे किया जो भी किया है मैं ने पुश्त पर तेरी कभी वार किया हो तो बता सब्र और ज़ब्त से ही काम लिया है मैं ने तुझ को रुस्वा सर-ए-बाज़ार किया हो तो बता बारहा जान पे खेले हैं वतन की ख़ातिर फिर भी हम ने कभी इज़हार किया हो तो बता तू ने घुट घुट के हमें जीने पे मजबूर किया फिर भी जीना तेरा दुश्वार किया हो तो बता दिल की बेताबियाँ सीने में छुपा कर रक्खीं अपने जज़्बात को 'बेदार' किया हो तो बता