बेचैन बहुत हूँ मुझे आराम पिला दे ला साक़िया ला बादा-ए-गुलफ़ाम पिला दे मुझ को तो ज़रूरत है दवा की न दुआ की तावीज़ में लिख कर वही इक नाम पिला दे हंगामा बपा होता है मिलते ही बदन में जैसे वो लबों से कोई कोहराम पिला दे मयख़ाने से निस्बत कहाँ हम बादा-कशों को बस मै-कदा-ए-चश्म से इक जाम पिला दे आलाम से मशरूत है आराम हमारा ऐ काश कोई तल्ख़ी-ए-अय्याम पिला दे बे-साख़्ता साक़ी की तरफ़ जाता हूँ हर रोज़ बादा न सही रू-ए-दिल-आराम पिला दे गर होश में 'काशिफ़' हो तो शब डसती है उस को मोहसिन है वही जो उसे हर शाम पिला दे