याद तुम्हारी हर मुश्किल यूँ हल कर देती है दर्द की गोली जैसे आ'ज़ा शल कर देती है उस की फ़ुर्क़त का लम्हा सदियों पर भारी है उस की क़ुर्बत सदियों को भी पल कर देती है छुटकारा मिल जाता है इस ज्ञानी दुनिया से इक लड़की है जो मुझ को पागल कर देती है दिल न जले तो प्यार की दुनिया कैसे रौशन हो शम्अ उजाला इस दुनिया को जल कर देती है 'काशिफ़' मुझ पर तब होती है बारिश ग़ज़लों की जब वो अपनी ज़ुल्फ़ों को बादल कर देती है