बे-गाना-अदाई है सितम जौर-ओ-सितम में हम छुपने न पाए कि छुपा आप वो हम में कुछ इल्म-ओ-ख़िरद पर नहीं तक़दीर की मिक़दार अंदाज़ा-ए-पैमाँ न ज़्यादा में न कम में है तर्ज़-ए-मोहब्बत ही दिल-आशोब वगर्ना कुछ बात अदावत की न तुम में है न हम में हर क़ाफ़िला-ए-दर्द-रसीदा की है मंज़िल क्या जानिए आराम है क्या मुल्क-ए-अदम में यारब हो बुरा इस हवस-ए-दिल का नहीं चैन इफ़्लास भी खोया तलब-ए-जाह-ओ-हशम में बे-हिस हवस-ए-वस्ल में ऐसे तो हुए हैं लज़्ज़त है अज़िय्यत में हलावत है न सम में अफ़्साना-ए-मय-ख़ाना है वाइ'ज़ की ज़बाँ पर अंदाजा-ए-पैमाना है क़िंदील-ए-हरम में मुझ को ही नहीं बे-ख़ुद-ओ-बेहोश क्या कुछ दीवाने बने आप भी तशवीश-ए-सितम में उस ज़ोहद-लिबासी के 'क़लक़' तेरे हैं क़ाइल किस ढंग से लाया पिसर-ए-शैख़ को दम में