बेवफ़ा कहिए बा-वफ़ा कहिए दिल में आए जो बरमला कहिए उन के ज़ुल्म-ओ-सितम का क्या शिकवा हुस्न की शोख़ी-ए-अदा कहिए दे दिया दिल किसी सितमगर को आप चाहे उसे ख़ता कहिए हर ख़ुशी का निखार है उस में लज़्ज़त-ए-ग़म को और क्या कहिए दिल कभी उस को मानता ही नहीं आप ख़ुद को न बेवफ़ा कहिए अपने दामन की कुछ ख़बर है 'मजीद' सोच कर ख़ुद को पारसा कहिए