बेवफ़ा हो न बा-वफ़ा हो तुम हम समझते हैं बस-कि क्या हो तुम तुम न दरिया हो और न पानी हो सिर्फ़ पानी का बुलबुला हो तुम जैसे मिट्टी से बन के आए हो इसी मिट्टी की फिर ग़िज़ा हो तुम इक ज़माना अगर गुज़र जाए इक कहानी हो माजरा हो तुम जान लो अब भी इस हक़ीक़त को और समझ लो कि कितने क्या हो तुम मैं तो बस इक हक़ीर बंदा हूँ ये न समझो कि बस ख़ुदा हो तुम कुछ ख़ता हम से भी हुई 'जाज़िब' कैसे कह दें कि बेवफ़ा हो तुम