दिल की चाहत को आफ़्ताब करो अपनी सीरत को माहताब करो दिल को आमादा-ए-सवाब करो नेकियाँ और बे-हिसाब करो नफ़्स के इंतिशार में फँस कर अपनी दुनिया न तुम ख़राब करो फ़ज़्ल-ए-रब की अगर तमन्ना है बस गुनाहों से इज्तिनाब करो अपनी दुनिया सँवार लो लेकिन आख़िरत को भी कामयाब करो पहले सीरत सँवार लो अपनी फिर ज़माने को तुम ख़िताब करो घर को जन्नत अगर बनाना है नेक बीवी का इंतिख़ाब करो