भला ही दुआओं से होता है सब का दुआ खटखटाती है दरवाज़ा रब का बलाओं से रहता है महफ़ूज़ हर दम सुकूँ दे जो माँ-बाप को रोज़-ओ-शब का मुख़ालिफ़ हुए लोग उर्दू के फिर भी जहाँ भर में रुत्बा है उर्दू अदब का करें क़त्ल-ओ-ग़ारत-गरी ज़ुल्म जो भी उन्हें पास कब है हसब का नसब का करेगा जौ मज़लूम पर ज़ुल्म 'अनवर' निशाना बनेगा वो रब के ग़ज़ब का