भँवर में मशवरे पानी से लेता हूँ मैं हर मुश्किल को आसानी से लेता हूँ जहाँ दानाई देती है कोई मौक़ा' वहाँ मैं काम नादानी से लेता हूँ वो मंसूबे हैं कुछ आबाद होने के मैं जिन पर राय वीरानी से लेता हूँ अब अपने आबलों की घाटियों से भी समुंदर देख आसानी से लेता हूँ नहीं लेता मगर लेने पे आऊँ तो मैं बदला आग का पानी से लेता हूँ नज़र-अंदाज़ कर देती है जब दुनिया जनम ख़ुद अपनी हैरानी से लेता हूँ जहाँ मुश्किल में पड़ जाते हैं गिर्द-ओ-पेश वहाँ मैं साँस आसानी से लेता हूँ लगाता है मिरी बीनाई पर तोहमत मैं फ़तवे जिस की उर्यानी से लेता हूँ