भूल मत कि गूँजेगी एक दिन सदा-ए-हू काग़ज़ी ये दुनिया है आरज़ी हैं रंग-ओ-बू क्या बताएँ हम तुम को मादरी ज़बाँ क्या है हर्फ़-हर्फ़ में रंगत लफ़्ज़-लफ़्ज़ में ख़ुशबू रहरवान-ए-राह-ए-हक़ बैठ जाएँ कोने में साज़िशी दिमाग़ों की धूम-धाम है हर-सू अस्र-ए-नौ के पैकर में ख़ुद को ढालना होगा वक़्त के तक़ाज़ों को ठीक से समझ ले तू रब ही अब मुहाफ़िज़ है तेरी कज-कुलाही का राह में हज़ारों हैं एक दो नहीं बद-ख़ू बस ज़रा सी हिम्मत ही तिश्नगी बुझा देगी रोक मत क़दम अपने सामने है आब-ए-जू जब तलक 'शफ़क़' तेरे हैं ज़मीं पे शैदाई पेश-गोई है मेरी मर नहीं सकेगा तू