भूत सर पर कोई सवार है क्या ये बताओ किसी से प्यार है क्या डर के आगे तो जीत है लेकिन जीत के आगे कोई हार है क्या मेरी ख़ुशियों में तो शरीक रहा मेरे ग़म में भी तू शुमार है क्या मुझ को नफ़रत से देखने वाले अब किसी दूसरे से प्यार है क्या देखना ये है दौर-ए-हाज़िर में कोई मेरा भी ग़म-गुसार है क्या इतनी शिद्दत से याद करते हो तुम को मेरा ही इंतिज़ार है क्या नीम के पेड़ पर भी क्या तुम ने लगते देखा कभी अनार है क्या