ज़िक्र हर सुब्ह-ओ-शाम होता है लब पे तेरा ही नाम होता है दिल की हालत अजीब होती है जब भी उन से कलाम होता है राह में उस का इस तरह मिलना सर झुका कर सलाम होता है आप पर जान देने वालों में सर-ब-फ़िहरिस्त नाम होता है उन का आलम भी ख़ूब आलम है दस्त में जिन के जाम होता है तेरे कूचे से जो गुज़रता है चार सू उस का नाम होता है सारा आलम 'हिलाल' गुल हो जाए इश्क़ में इक मक़ाम होता है