बिगड़े वो लाख तरह मगर गुल न हो सका मैं अपने सदक़े याँ भी ताम्मुल न हो सका गो हिचकियाँ रहीं मुझे मीना की याद में लेकिन अदा तराना-ए-क़ुलक़ुल न हो सका मुमकिन नहीं मिरा दिल-ए-पज़-मुर्दा शाद हो कुम्हला गया जो ग़ुंचा वो फिर गुल न हो सका अल्लाह रे जोश आप की बख़्शिश के बा'द भी अश्कों से मेरे तर्क-ए-तसलसुल न हो सका बिगड़ा हुआ मिज़ाज सँभलता नहीं 'नसीम' ता'नों का उन के मुझ से तहम्मुल न हो सका