बिना देखे सुनहरे ख़्वाब का नक़्शा बना डाला तसव्वुर आशिक़ी का आप ने अच्छा बना डाला ग़ज़ब का खेल दिखलाया है जादूगर बहारों ने छुपा कर साया-ए-गुल में मुझे काँटा बना डाला मैं अब अपने तसव्वुर में हमेशा क़ैस रहता हूँ ये किस लैला ने मेरे ज़ह्न को सहरा बना डाला खुरच कर ज़र्द तलवों से बहुत लम्बी मसाफ़त को बिला उन्वान इसे छोटा सा इक क़िस्सा बना डाला कहाँ अब ख़ून रुलवाते हैं उस के ग़म मुझे 'रिज़वान' उसी की बे-नियाज़ी ने तो बे-परवा बना डाला