बिना देखे तुझे अपना बना कर देख लेता हूँ

बिना देखे तुझे अपना बना कर देख लेता हूँ
मैं तेरे आस्ताँ पर सर झुका कर देख लेता हूँ

सुना है राज़ चाहत का छुपाना सख़्त मुश्किल है
तिरी तस्वीर आँखों में छुपा कर देख लेता हूँ

अंधेरे दिल की बस्ती के भी शायद दूर हो जाएँ
मैं तेरे नाम की मशअ'ल जला कर देख लेता हूँ

शिकायत दोस्तों की है मिरे अहबाब के लब पर
चलो अब दुश्मनों को आज़मा कर देख लेता हूँ

वो गुल जान-ए-बहार-ए-आरज़ू है लोग कहते हैं
उसे शाख़-ए-तमन्ना पर सजा कर देख लेता हूँ

मुझ कुछ भी नहीं हासिल हुआ ऊँची उड़ानों से
क़दम अपनी ज़मीं पर अब जमा कर देख लेता हूँ

दुआ अपने लिए मैं ने कभी माँगी नहीं कोई
तिरी ख़ातिर मैं हाथ अपने उठा कर देख लेता हूँ

परों में उन के कितनी ताक़त-ए-परवाज़ बाक़ी है
परिंदे अपनी सोचों के उड़ा कर देख लेता हूँ

कहाँ पहुँचेगा मेरा कारवान-ए-शौक़ ऐ 'शाहिद'
मैं अपने आप को रहबर बना कर देख लेता हूँ


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