छुपी दिल में जो याद-ए-यार होगी मसाफ़त और भी दुश्वार होगी ख़बर क्या थी कि हाइल रास्ते में पस-ए-दीवार भी दीवार होगी गिला इंकार का उस से करूँ क्या कोई तो सूरत-ए-इंकार होगी उसे जब मानना कुछ भी नहीं है दलालत भी मिरी बे-कार होगी मुझे मालूम ही कब था ये पहले ख़िरद ख़ुद ही जुनूँ-आसार होगी सर-ए-महफ़िल मिरी आतिश-बयानी किसी का शो'ला-ए-रुख़्सार होगी वो गुल महकेगा जब दिल के चमन में मिरी हर साँस खुशबू-दार होगी ग़ुरूर-ए-सर-बुलंदी क्या कि इक दिन न सर होगा न ये दस्तार होगी मिरी ख़ाक-ए-बदन इक रोज़ 'शाहिद' बराए कूचा-ए-दिलदार होगी