बिना-ए-सज्दा हूँ सज्दे की इब्तिदा हूँ मैं जो ख़ुद-नुमा हैं वो देखें ख़ुदा-नुमा हूँ मैं मिरा वजूद है एलान-ए-कलिमा-ए-तौहीद जहाँ में ग़ैब से आई हुई निदा हूँ मैं मुझे सुलाएगी अब क्या हवा-ए-ख़्वाब-ए-फ़ना ज़िया-ए-हुस्न से बेदार हो चुका हूँ मैं अजल का काम नहीं मेरी हल्ल-ए-मुश्किल में कि मंज़िल-ए-ग़म-ए-हस्ती से बढ़ गया हूँ मैं कशिश मिरी यहीं मंज़िल को खींच लाएगी यही तो नाज़ है मुझ को शिकस्ता-पा हूँ मैं जबीन-ए-शौक़ को क्या इम्तियाज़-ए-दैर-ओ-हरम किसे ख़बर है कि किस दर पे जिबह-सा हूँ मैं किसी की लौह-ए-जबीं पर शिकन ये कहती है कि बे-ख़ुदी में कोई राज़ कह गया हूँ मैं बस ऐ तलातुम-ए-तूफ़ान-ए-आरज़ू बस कर कि अब तबाह सफ़ीने का नाख़ुदा हूँ मैं मआल-ए-कश्मकश-ए-दर्द कुछ हुआ 'हिरमाँ' सुना है मौत की इक नींद ले रहा हूँ मैं