बिस्तर-ए-हिज्र की शिकनों पे कहानी लिख दे आज की रात मिरे नाम सुहानी लिख दे बीते सालों की तरह दुश्मन-ए-जानी लिख दे अब के ख़त में तू कोई बात पुरानी लिख दे प्यास इस रेत की अश्कों से बुझाऊँ कैसे ख़ुश्क दरिया के मुक़द्दर में भी पानी लिख दे हुस्न का ढलना ज़रूरी है मगर ऐ मालिक उस के चेहरे पे मिरे दिल की जवानी लिख दे ख़ुश-नवेस आ कि तिरा फ़न भी महक जाएगा बर्ग-ए-सरसब्ज़ पे इक रात की रानी लिख दे जितना चाहे मुझे ग़म और अता कर लेकिन उस के होंटों पे तबस्सुम की रवानी लिख दे