ब-ज़ाहिर देखते हैं तो ज़ियादा काम करता हूँ

ब-ज़ाहिर देखते हैं तो ज़ियादा काम करता हूँ
मगर हक़ बात कुछ यूँ है कि थोड़ा काम करता हूँ

अब आगे ख़ुद समझ जाओ मैं कैसा काम करता हूँ
जो कोई भी नहीं करता है वैसा काम करता हूँ

मोहब्बत में मुझे बातें बनाना तो नहीं आता
कभी मौक़ा मिले मुझ को तो सीधा काम करता हूँ

कराना चाहता हूँ इस तरह अपना ही कोई काम
यहाँ हर वक़्त जो मैं ये तुम्हारा काम करता हूँ

नई है पेशकश और फिर किया है नाम भी तब्दील
हक़ीक़त में मगर अब भी पुराना काम करता हूँ

वो मेरे साथ जो करते हैं वैसा तो नहीं कोई
वो अपना काम करते हैं मैं अपना काम करता हूँ

मगर अब लोग कहते हैं भला ये भी है कोई काम
कभी ये लोग कहते थे कि अच्छा काम करता हूँ

अब ऐसा भी नहीं है जो मिला वो कर लिया मैं ने
मिरा मेआ'र है इक और सुथरा काम करता हूँ

उन्हें वो छोड़ देते हैं जो कुछ भी तो नहीं करते
मैं फँस जाता हूँ 'गुल' उतना ही जितना काम करता हूँ


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close