ब-सद-ख़ुलूस ब-सद-एहतिराम करते चलो बुज़ुर्ग जब भी मिलें तुम सलाम करते चलो अदब से प्यार से अख़्लाक़ से मोहब्बत से जो दुश्मनी करें उन को भी राम करते चलो दिल-ओ-दिमाग़ में लोगों के नक़्श हो जाएँ कुछ ऐसे शे'र ज़माने के नाम करते चलो ख़ुद अपनी फ़िक्र तो दुनिया में सब ही करते हैं जो दूसरों के लिए हों वो काम करते चलो दुखी दिलों के लिए बन के इब्न-ए-मरियम तुम बुलंद दुनिया में अपना मक़ाम करते चलो ज़बाँ पे मुहर लगी हो तो राह-ए-उल्फ़त में निगाह-ए-शौक़ से उस को पयाम करते चलो ख़ुदा की बंदगी इश्क़-ए-रसूल से 'नग़मी' तुम अपने आप पर दोज़ख़ हराम करते चलो