बुलाना और न जाना चाहता हूँ मरासिम भी निभाना चाहता हूँ तिरी क़ुर्बत से कुछ लम्हे चुरा कर मैं अपने पास आना चाहता हूँ कहाँ ये तय नहीं कर पाया लेकिन कहीं मैं भाग जाना चाहता हूँ किसी दिन गर्दिश-ए-अय्याम को भी मैं उँगली पर नचाना चाहता हूँ ज़रूरत तो नहीं तू है ज़रूरी तुझे अपना बनाना चाहता हूँ बहुत सहरा-नवर्दी हो चुकी अब ठिकाने का ठिकाना चाहता हूँ असर करती नहीं है नर्म-गोई मैं अब नारे लगाना चाहता हूँ