चाक दिल चाक जिगर याद आया किस का अंदाज़-ए-नज़र याद आया याद-ए-अय्याम-ए-बहाराँ तौबा फिर मआल-ए-गुल-ए-तर याद आया किस की दुज़्दीदा नज़र ने छेड़ा कौन ऐ दीदा-ए-तर याद आया उस के अंदाज़-ए-तग़ाफ़ुल को हनूज़ भूलना चाहा मगर याद आया फिर ज़माने ने निगाहें फेरीं फिर तिरा और तिरा घर याद आया वहशत-ए-दिल का ये आलम 'ज़मज़म' संग ही आया न सर याद आया