चार दिन और हैं यारों के ये डेरे यारो कल किसी और के होंगे ये बसेरे यारो वक़्त के साथ सभी नक़्श भी मिट जाएँगे वक़्त की रेत पे जो हम ने उकेरे यारो ये ज़र-ओ-माल झगड़ते रहे हम जिन के लिए साथ जाएँगे तुम्हारे न ही मेरे यारो आँख चुँधयाई चका-चौंध से काले धन की इन उजालों से तो बेहतर थे अँधेरे यारो तुम इन्हें गीत कहो नज़्म कहो या कि ग़ज़ल मैं ने काग़ज़ पे कुछ आँसू हैं बिखेरे यारो रात ख़्वाबों में महल ढेर बनाता है 'सदा' ढेर हो जाते हैं सब सुब्ह सवेरे यारो