चाहा बयाँ करूँ जों है मेरे ख़याल में मअ'नी उलझ के रह गए लफ़्ज़ों के जाल में जीता है कौन बहस में मूरख से आज तक बे-कार क्यूँ उलझते हो तुम क़ील-ओ-क़ाल में ले जाने वाले लूट के सब कुछ चले गए हम सोचते ही रह गए काला है दाल में मुमकिन है उन के दर से टका सा मिले जवाब लेकिन न हिचकिचाइए अपने सवाल में रिश्ते की बात कौन किसी से करे यहाँ अपना बना के लोग फँसाते हैं जाल में फूलों का दिल कली की तमन्ना मिरी दुआ काम आए रंग बन के तुम्हारे जमाल में रखते हैं नाप तोल के वो हर क़दम 'शमीम' प्यारी लगे है उन की अदा टेढ़ी चाल में