चलो अच्छा है काम से लगे हम फिर वही फूल देखने लगे हम उस बुलंदी से देखते पर्बत तेरे दरिया में डूबने लगे हम इन रुतों को अगर वो लौटा दे जिन रुतों में हरे-भरे लगे हम अक्स तो आइने में टूटा था दिल के टुकड़ों को जोड़ने लगे हम जब कहानी को नींद आने लगी इस्तिआरों में जागने लगे हम देर तक दूर तक तलाश किया फिर तिरा नाम भूलने लगे हम