चमन इतना ख़िज़ाँ-आसार पहले कब हुआ था बला का क़हत-ए-बर्ग-ओ-बार पहले कब हुआ था हवादिस और मैं बचपन से गो लड़-भिड़ रहे थे हवादिस का ये गहरा वार पहले कब हुआ था मैं जिन गलियों में पैहम बरसर-ए-गर्दिश रहा हूँ मैं उन गलियों में इतना ख़ार पहले कब हुआ था मैं बीमार-ए-मोहब्बत यूँ तो पहले भी रहा हूँ मगर इस ज़ोर का बीमार पहले कब हुआ था सदा ''ना ना'' की यूँ तो गोश-ज़द होती रही है लब-ए-लालीं से साफ़ इंकार पहले कब हुआ था तिरा लहजा था जानाँ शीर ओ शबनम से इबारत तिरा लहजा अभी तलवार पहले कब हुआ था सलीब-ओ-दार पहले भी बहुत वाफ़िर नहीं थे मगर क़हत-ए-सलीब-ओ-दार पहले कब हुआ था मियाँ-'तहसीं' तिरी रिंदी की सुन-गुन थी हमें भी मगर ऐसा खुला इक़रार पहले कब हुआ था