इसे मैं और ये मेरा असा ही तय करेगा ये राह-ए-इश्क़ मिरा हौसला ही तय करेगा शब-ए-सियाह के दामन में हैं गुहर क्या किया नसीब वाले! तिरा रतजगा ही तय करेगा समुंदरों से मह-ए-चार-दह का खेल है क्या कोई खिलाड़ी कोई मह-लक़ा ही तय करेगा हमारा दिल है किसी काम का कि नाकारा ये अम्र आज कि कल दिल-रुबा ही तय करेगा हैं शीशा-कश हमें क्या काम कार-ए-दुनिया से ये राह-ए-सख़्त कोई दूसरा ही तय करेगा इलाज उन का, जो हैं इस ज़मीं का बोझ, मियाँ! कोई ख़रोश कोई ज़लज़ला ही तय करेगा जो हाल-मस्त हैं गुम-कर्दा-राह भी उन्हें क्या कि रोड-मैप कोई दूसरा ही तय करेगा बजाए ख़्वाज-गाँ मसनद-नशीं हों ख़्वाजा-सरा तो मसअला कोई ख़्वाजा-सरा ही तय करेगा इलाज क्या हो शगालों का बद-सगालों का ये शेर-ए-नर का कोई हमहमा ही तय करेगा तमाम शहर की जब बे-हिसी हो सिक्का-ए-वक़्त तो मोल-तोल कोई मसख़रा ही तय करेगा ये तय हुआ है कि शेर ओ अदब के पैमाने हमारे शहर का इक यक-फ़ना ही तय करेगा मुझे हलाक किया किस ने और क्यूँ किस वक़्त ये सब मुआमला रोज़-ए-जज़ा ही तय करेगा