चाँद को जुगनू ने दी सौग़ात है अपने अपने हौसले की बात है नींद का मौसम न आया इस तरफ़ अपनी तो आँखों में कटती रात है कौन रोया है यहाँ कल रात भर ज़र्द पत्तों पर हुई बरसात है तू ख़ुदा से माँग ले जो माँगना आदमी से मिलती बस ख़ैरात है लफ़्ज़ लगते हैं महकने उस घड़ी जिस घड़ी वो 'सर्व' होता साथ है