चाँद सूरज मिरे घर आते हैं क्या हसीं ख़्वाब नज़र आते हैं मुझ से कहते हैं ठहर दम ले ले राह में जितने शजर आते हैं देखना मेरे तख़य्युल का कमाल नहीं आते वो मगर आते हैं बर्क़ हँसती है नशेमन पे मिरे अब्र बा-दीदा-ए-तर आते हैं देख कर अपने शिकस्ता दिल को याद महलों के खंडर आते हैं है बुरा हाल उन्हें क्या मालूम वो भला कब मिरे घर आते हैं सच है पथराव तभी होता है जब दरख़्तों पे समर आते हैं फ़ोन उठाएगी न 'परवीन' उस वक़्त बच्चे स्कूल से घर आते हैं