चर्चे तिरे ख़ुलूस के दुनिया में कम न थे फिर भी तिरे करम के सज़ा-वार हम न थे होगा कोई शरीर सा झोंका नसीम का जिस ने तिरी नक़ाब उठाई वो हम न थे मुज़्मर थीं तेरे जौर में तेरी इनायतें तेरे सितम भी तेरी नवाज़िश से कम न थे उस रास्ते पे छोड़ गया राहबर मुझे जिस रास्ते पे आप के नक़्श-ए-क़दम न थे मासूमियत ने जीना भी दुश्वार कर दिया ना-कर्दा-कार दिल में कभी इतने ग़म न थे कुछ बोझ बन चुकी थीं तिरी कम-निगाहियाँ महफ़िल में इंतिशार का बाइ'स तो हम न थे 'कौसर' को बारयाबी का एज़ाज़ मिल गया पहले ही उस पे आप के एहसान कम न थे