चश्म-ए-बीना और एहसास-ए-हक़ीक़त चाहिए कसरत-ए-फ़ितरत में वहदत की अक़ीदत चाहिए ज़ब्त-ए-एहसासात की ऐनी शहादत चाहिए हर अमल में तर्क-ए-लज़्ज़त की रिआ'यत चाहिए कसरत-ए-फ़ितरत में रह कर हुस्न-ए-वहदत चाहिए हर इबादत में उबूदिय्यत की निय्यत चाहिए जल्वा-हा-ए-नूर को आग़ोश-ए-ख़ल्वत चाहिए और ख़ल्वत में मकीन-ए-दिल की जल्वत चाहिए हर-नफ़स आमादा-ए-आज़ार है चर्ख़-ए-कुहन फिर भी इंसाँ को कभी आराम-ओ-राहत चाहिए बे-सबाती में भी तमअ'-ए-ज़ीस्त दामन-गीर है हर क़दम पर कुछ न कुछ ईजाद-ओ-जिद्दत चाहिए कोशिश-ए-मशकूर हैं अपनी जुनूँ-अफ़ज़ाइयाँ मकतब-ए-वहशत में दस्तार-ए-फ़ज़ीलत चाहिए है कठिन क़ैद-ए-बदन में दीद-ए-अनवार-ए-ख़फ़ी इंहिमाक-ए-दिल को ज़ाहिर कोई सूरत चाहिए हम को इस बे-माएगी पर ही तो 'सरवर' नाज़ है बस फ़क़त अहल-ए-नज़र की कुछ इनायत चाहिए