चश्म-ए-बीना हो तो हर जा तिरा जल्वा देखे क़तरे क़तरे में निहाँ वुसअ'त-ए-दरिया देखे जब तलक चश्म-ए-सुवैदा में न हो ताक़त-ए-दीद नहीं मुमकिन कि कोई जल्वा तुम्हारा देखे तूर पर जाने की तकलीफ़ सहे क्यूँ वो कलीम जल्वा-ए-यार को जो दिल में हुवैदा देखे हसरत-ए-दीद में आँखें हैं खुली बा'द-ए-फ़ना कोई ऐ काश मिरा आन के नक़्शा देखे कहीं हसरत का मुरक़्क़ा' है कहीं हिरमाँ का कहते हैं आन के घर कोई तिरे क्या देखे मुझ को मरने नहीं देता है तसव्वुर उस का कोई आ कर मिरे जीने का सहारा देखे साफ़ हो जाएगी दुनिया की हक़ीक़त रौशन चश्म-ए-'आफ़ाक़' से आफ़ाक़ का नक़्शा देखे