चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है सुर्मा तो कहवे कि दूद-ए-शो'ला-ए-आवाज़ है पैकर-ए-उश्शाक़ साज़-ए-ताला-ए-ना-साज़ है नाला गोया गर्दिश-ए-सैय्यारा की आवाज़ है दस्त-गाह-ए-दीदा-ए-खूँ-बार-ए-मजनूँ देखना यक-बयाबाँ जल्वा-ए-गुल फ़र्श-ए-पा-अंदाज़ है चश्म-ए-ख़ूबाँ मै-फ़रोश-ए-नश्शा-ज़ार-ए-नाज़ है सुर्मा गोया मौज-ए-दूद-ए-शोला-ए-आवाज़ है है सरीर-ए-ख़ामा रेज़िश-हा-ए-इस्तिक़्बाल-ए-नाज़ नामा ख़ुद पैग़ाम को बाल-ओ-पर-ए-परवाज़ है सर-नाविश्त-ए-इज़्तिराब-अंजामी-ए-उल्फ़त न पूछ नाल-ए-ख़ामा ख़ार-ख़ार-ए-ख़ातिर-ए-आगाज़ है शोख़ी-ए-इज़्हार ग़ैर-अज़-वहशत-ए-मजनूँ नहीं लैला-ए-मानी 'असद' महमिल-नशीन-ए-राज़ है नग़्मा है कानों में उस के नाला-ए-मुर्ग़-ए-असीर रिश्ता-ए-पा याँ नवा-सामान-ए-बंद-ए-साज़ है शर्म है तर्ज़-ए-तलाश-ए-इंतिख़ाब-ए-यक-निगाह इज़्तिराब-ए-चश्म बरपा दोख़्ता-ग़म्माज़ है