वो पागल सब के आगे रो चुका है किसी का दुख कोई कब बाँटता है हज़ारों बार मुझ से मिल चुका है ज़रूरत हो तभी पहचानता है कभी तो मुल्क का मालिक कहेंगे कभी इक अर्दली भी डाँटता है ये घर है अपनी मर्ज़ी जी रहा है पता है रात सारी जागता है वो प्यारे दिल में आ कर बस गए है जो उन को भा गया वो देवता है