चेहरे को नक़ाब लिख रहा हूँ मौसम पे किताब लिख रहा हूँ इस बार वो आब है चमन पर हर गुल को गुलाब लिख रहा हूँ अब ख़ुद से हुआ हूँ बे-तकल्लुफ़ यारों को जनाब लिख रहा हूँ चेहरा है और आप अक्स भी है पानी पे सराब लिख रहा हूँ ये इज्ज़ नहीं है मस्लहत है दरिया हूँ सहाब लिख रहा हूँ