छाई जो हर सू बदली काली आँख में आँसू आए देख सके न पंछी डाली आँख में आँसू आए मेरे देस की जन्नत जैसी धरती उजड़ी उजड़ी हर जा देखी जब बद-हाली आँख में आँसू आए ख़ेमों की बस्ती में वो जो ज़िंदा लाशें हैं देख के उन की आँख सवाली आँख में आँसू आए ठंडा सीना धरती का है भूक के मारे हैं सब दिन तीरा और रात है काली आँख में आँसू आए क्यूँकर हम परदेस को अपना देस कहें बतलाओ किस ज़ालिम ने रस्म ये डाली आँख में आँसू किस को सीने से लिपटाएँ किस का माथा चूमें देख के घर का आँगन ख़ाली आँख में आँसू आए जिस ने घर के बाग़ीचे को अपने ख़ून से सींचा छोड़ गया जब इस का माली आँख में आँसू आए 'अमजद' कैसी आग लगी है लफ़्ज़ों के पानी में उजली ग़ज़लें हो गईं काली आँख में आँसू आए