छोड़ दूँ शहर तिरा छोड़ दूँ दुनिया तेरी मुझ को मालूम न था क्या है तमन्ना तेरी मैं अँधेरे में नहीं दिन के उजाले में लुटा अब किसे ढूँढे है शम-ए-रुख़-ए-ज़ेबा तेरी जब कोई पास-ए-मुरव्वत से करम करता है याद आती है बहुत रंजिश-ए-बे-जा तेरी पय-ब-पय साथ छुटा जाता है इक दुनिया का दम-ब-दम याद चली आती है गोया तेरी दामन-ओ-दस्त-ए-रसा बात ख़ुदा-साज़ तो है ना-रसाई भी मशिय्यत है ख़ुदाया तेरी मुंहदिम हो गई दीवार-ए-दिल-ए-दीवाना मेरी क़िस्मत में थी तस्वीर-ए-शिकस्ता तेरी तार-तार-ए-नफ़स-ए-जाँ में तिरा नग़्मा है पैरहन में है अभी बू-ए-शनासा तेरी ग़ज़ल-ए-'शाज़' है सदक़ा तिरी रा'नाई का रग-ए-हर-शे'र में है मौज-ए-सरापा तेरी