छोड़िए छोड़िए ये बातें तो अफ़्साने हैं हम भी दीवाने हैं जो आप के दीवाने हैं मर के भी आप को रुस्वा नहीं होने देंगे जल के बद-नाम जो करते हैं वो परवाने हैं आज इंसाँ ने भुला डाले हैं यज़्दाँ के करम हम ने तो ज़ुल्म भी एहसान तिरे जाने हैं यूँ तो साए की तरह साथ वो रहते हैं मिरे फिर भी महसूस ये होता है वो बेगाने हैं मेरा इज़हार-ए-मोहब्बत न समझ पाए आप ये मिरे दुख ये मिरे दर्द तो अनजाने हैं