दिल का हर एक दाग़ चराग़ाँ से कम नहीं मेरी ख़िज़ाँ भी फ़स्ल-ए-बहाराँ से कम नहीं इस में है ख़ून-ए-दिल का समुंदर छुपा हुआ आँखों में एक अश्क भी तूफ़ाँ से कम नहीं यादों में हैं गुलाब से चेहरे सजे हुए शहर-ए-ख़याल कूचा-ए-जानाँ से कम नहीं है ख़ाक पर नशिस्त फ़लक पर उड़ान है मेरी ज़मीं भी तख़्त-ए-सुलैमाँ से कम नहीं जीने का हौसला भी मयस्सर न हो जिसे उस की सहर भी शाम-ए-ग़रीबाँ से कम नहीं निकले किसी की याद में आँसू जो आँख से मेरे लिए वो ला'ल-ए-बदख़्शाँ से कम नहीं आँखों के सामने हैं मनाज़िर अजीब से ये जागना भी ख़्वाब-ए-परेशाँ से कम नहीं 'शाहिद' फ़िराक़-ए-याद में ये दिल का हाल है वीरानियों में दश्त-ओ-बयाबाँ से कम नहीं