चितवन जो क़हर की है तो तेवर जलाल के मतलब ये है कि रख दे कलेजा निकाल के वाइज़ से बहस-ए-बादा-ओ-पैमाना क्या करूँ कुछ लोग रह गए हैं पुराने ख़याल के सौ दाग़ जिन के लाए हैं ज़ेर-ए-मज़ार हम एहसाँ जता रहे हैं वो दो फूल डाल के फिर ढूँढता है दिल ख़लिश-ए-ख़ार-ए-आरज़ू पछता रहा हूँ दिल से ये काँटा निकाल के ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के