चोरी कैसी भी हो ये लत भी बुरी होती है दिल चुरा लेने की आदत भी बुरी होती है अच्छी आदत का नफ़ा लोग उठा लेते हैं हद से ज़ियादा तो शराफ़त भी बुरी होती है ये ज़माना बड़ा नाज़ुक है सँभल कर चलिए जान-ए-मन इतनी नज़ाकत भी बुरी होती है ख़ूब शह देती है ये और गुनह करने को क्या ख़ुदा आप की रहमत भी बुरी होती है दिलबरों को है ये मिलने का सुनहरी मौक़ा' कौन कहता है क़यामत भी बुरी होती है प्यार की सूई भी चुभती है रफ़ू करने में चाक-ए-दिल की तो मरम्मत भी बुरी होती है पुर्सिश-ए-हाल को आए हैं वो ग़म दे के मुझे कैसे कह दें कि अयादत भी बुरी होती है कोना हाथ आए तो पल्लू को पकड़ लेते हैं लोग थोड़ी अनजानी इजाज़त भी बुरी होती है आँच आए जो उसूलों पे तो सौदा कैसा यूँ उसूलों की तिजारत भी बुरी होती है उस ने 'साहिल' तुम्हें दीवाना बना रक्खा है हाए कम्बख़्त मोहब्बत भी बुरी होती है