क्यूँ-कर न लाए रंग गुलिस्ताँ नए नए गाते हैं राग मुर्ग़-ए-ख़ुश-अलहाँ नए नए शाएर नए नए हैं सुख़न-दाँ नए नए पैदा हुए हैं अब तो ग़ज़ल-ख़्वाँ नए नए दिलबर मता-ए-दिल के हैं ख़्वाहाँ नए नए करता है हुस्न इश्क़ के सामाँ नए नए आसेब-ए-इश्क़ सर से उतरता नहीं मिरे लिखता है नक़्श रोज़ परी-ख़्वाँ नए नए बहका के तुम को कोई लगा ले न राह पर निकले हो आज घर से मिरी जाँ नए नए ज़ोरों पे हैं जुनूँ की बदौलत हमारे हाथ होते हैं तार तार गरेबाँ नए नए हर रोज़ एक वादी-ए-नौ सैर-गाह है वहशत दिखा रही है बयाबाँ नए नए किस दर्जा तंग हूँ तिरे हाथों से ऐ जुनूँ लाऊँ कहाँ से रोज़ गरेबाँ नए नए ग़म का गुज़र है गाह गहे ख़ुर्मी का दख़्ल आते हैं रोज़ घर मिरे मेहमाँ नए नए सूरत से इक परी की हमें इश्क़-ए-ताज़ा है दीवाने हम हुए हैं सुलैमाँ नए नए हर मर्तबा ज़माने को होता है इंक़लाब लाती है स्वाँग गर्दिश-ए-दौराँ नए नए मुल्क-ए-अदम है या कोई नंगों का शहर है हर रोज़ वाँ से आते हैं उर्यां नए नए इक ताज़ा गुल का सामना होता है हर बरस देता है दाग़ दिल पे गुलिस्ताँ नए नए पाबंद इक मक़ाम के होते नहीं हैं मर्द शेरों के वास्ते हैं नियस्ताँ नए नए उस ज़ुल्फ़ के ख़याल में आँखें तो बंद कर दिखलाई देंगे ख़्वाब-ए-परेशाँ नए नए किस किस तरह से चेहरे पे लहरा के आती है करती है नाज़ ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ नए नए आठों पहर है अब तो तबाही का सामना उठते हैं रोज़ अश्क के तूफ़ाँ नए नए रोएगा कोहना-साली में अहद-ए-शबाब को जब टूट कर न निकलेंगे दंदाँ नए नए फिरता नहीं वो दस्त-ए-निगारीं किसी तरह करता है ज़ोर पंजा-ए-मर्जां नए नए कर सैर चश्म-ए-ग़ौर से जो ज़ौक़-ए-शेर है मज़मूँ दिखाएगा मिरा दीवाँ नए नए हँस हँस के बार बार न क्यूँ-कर दिखाएँ आप नाम-ए-ख़ुदा निकाले हैं दंदाँ नए नए