दाग़-ए-फ़ुर्क़त विसाल की बातें छोड़ ख़्वाब-ओ-ख़याल की बातें ज़िंदगी क्या है इक क़यामत है दर्द आहें मलाल की बातें कश्फ़ वालों को हम बताते हैं मो'जिज़ात-ए-जमाल की बातें फ़िक्र हम को कमाल-ए-फ़न की है वो सुनाएँ ज़वाल की बातें मेरे अफ़्सानों में तो बिखरी हैं गर्दिश-ए-माह-ओ-साल की बातें ज़िक्र-ए-माज़ी अज़ाब जैसा है उस से बद-तर ये हाल की बातें चाँद जलता है जब भी होती हैं तेरे हुस्न-ओ-कमाल की बातें आओ 'दानिश' से आज सुनते हैं उल्फ़त-ए-ला-ज़वाल की बातें