दहर में इक तिरे सिवा क्या है तू नहीं है तो फिर भला क्या है सिला-ए-ज़ौक़ मय-कशी मा'लूम ज़र्फ़ क्या शय है हौसला क्या है हाशिए अपने मत्न है उन का मोहतसिब फिर सज़ा जज़ा क्या है पूछता हूँ हर एक साए से चाँदनी का अता-पता क्या है उन को है दा'वा-ए-मसीहाई जो नहीं जानते शिफ़ा क्या है किस लिए गर्दिश-ए-मुदाम में हैं आसमानों को ये हुआ क्या है ले उड़ेगी बुलंद-परवाज़ी दोस्तो साया-ए-हुमा क्या है इतनी इफ़रात ऐसी महरूमी देने वाले मोआ'मला क्या है सैल-ए-शाम-ओ-सहर में बहते हैं क्या ख़बर ज़ीस्त क्या क़ज़ा क्या है हम ही चुप हो गए 'तमन्नाई' दे रहा है कोई सदा क्या है