दैर में या हरम में गुज़रेगी उम्र तेरे ही ग़म में गुज़रेगी कुछ उमीद-ए-करम में गुज़री उम्र कुछ उमीद-ए-करम में गुज़रेगी ज़िंदगी याद-ए-दोस्त है यानी ज़िंदगी है तो ग़म में गुज़रेगी अब करम का ये मा-हसल है कि उम्र याद-ए-अहद-ए-सितम में गुज़रेगी दिल को शौक़-ए-नशात-ए-वस्ल न छेड़ ग़म में गुज़री है ग़म में गुज़रेगी हसरत-ए-दम-ब-दम में गुज़री उम्र इबरत-ए-दम-ब-दम में गुज़रेगी हश्र कहते हैं जिस को ऐ 'फ़ानी' वो घड़ी शरह-ए-ग़म में गुज़रेगी