दर आई मिरे भागों में रुस्वाई वग़ैरा लम्हा न हुई अपनी पज़ीराई वग़ैरा आँखों ने तिरे बा'द न देखा कोई मंज़र जाती रही पीछे तिरे बीनाई वग़ैरा रोएँगे मिरे बा'द मुझे पेड़ परिंदे मत समझो सितम मेरे इलाक़ाई वग़ैरा चाहत से भला तेरी तरफ़ कौन है आता ले आती है सब को तिरी रानाई वग़ैरा दुनिया में अकेला हूँ मिरा कोई नहीं है सब रंग-ओ-हवस के हैं ये शैदाई वग़ैरा इस दौर में हर शख़्स है तन्हाई का मारा होते थे कभी साथ यहाँ भाई वग़ैरा