दर पे तेरे पुकार की फ़रियाद सम्अ तू ने न यार की फ़रियाद नहीं सुनता है लाला-रू मेरा इस दिल-ए-दाग़दार की फ़रियाद आह सुनता है कब वो रश्क-ए-बहार हम ने गो अब हज़ार की फ़रियाद देख उस रश्क-ए-गुल को जूँ बुलबुल मैं ने बे-इख़्तियार की फ़रियाद हिज्र में तेरे मेरी आँखों ने रो रो ज्यूँ आबशार की फ़रियाद रोज़ सुनते हैं हम ख़िज़ाँ में आह बुलबुलों से बहार की फ़रियाद शरर-ए-गर्म इश्क़ पर जल के दिल ने स्पंद-वार की फ़रियाद कौन सुनता है किस से जा कहिए इस दिल-ए-बे-क़रार की फ़रियाद नाला-ए-ज़ार को मिरे सुन कर ने नीं हो दिल-फ़िगार की फ़रियाद राह-ए-उल्फ़त में मैं ने हर दिल चाक राह-ए-उल्फ़त में मैं ने हो दिल चाक ज्यूँ जरस बार बार की फ़रियाद गुल ने बुलबुल की सुन ली सुन तू भी अपने महजूर-ए-ज़ार की फ़रियाद उफ़ न हल्क़-ए-बुरीदा ने की मिरे ख़ंजर-ए-आबदार की फ़रियाद हो गया ख़ाक पर किसी से न की मैं ने उस शहसवार की फ़रियाद क्या 'जहाँदार' अर्ज़ करता है सुनियो इस ख़ाकसार की फ़रियाद