दर्द ऐसा दिया एहसास-ए-वफ़ा ने हम को न दवा ने ही शिफ़ा दी न दुआ ने हम को ये तो सहरा की हवाएँ हैं गिला क्या उन का ख़ूब झुलसाया है गुलशन की सबा ने हम को सोज़-ए-आफ़ाक़ का एहसास भी हम को न हुआ इतना बेहोश किया तेरी अदा ने हम को दूर होता ही गया चेहरा-ए-मंज़िल हम से राह दिखलाई है वो राह-नुमा ने हम को देखती ही रही ये अक़्ल तमाशा-ए-जुनूँ जब भी मजबूर किया अहद-ए-वफ़ा हम को ज़ुल्फ़-ए-इदराक छुपाती रुख़-ए-हस्ती कब तक आख़िरश थाम लिया दस्त-ए-फ़ज़ा ने हम को डूबी कश्ती जो हमारी लब-ए-साहिल 'ख़ालिद' ना-ख़ुदा ने नहीं देखा कि ख़ुदा ने हम को