दर्द होते हैं कई दिल में छुपाने के लिए सब के सब आँसू नहीं होते बहाने के लिए उम्र तन्हा काट दी वा'दा निभाने के लिए अहद बाँधा था किसी ने आज़माने के लिए ये क़फ़स है घर की ज़ेबाइश बढ़ाने के लिए ये परिंदे तो नहीं हैं आशियाने के लिए कुछ दिए दीवार पर रखने हैं वक़्त-ए-इंतिज़ार कुछ दिए लाया हूँ पलकों पर जलाने के लिए वो ब-ज़ाहिर तो मिला था एक लम्हे को 'अदीम' उम्र सारी चाहिए उस को भुलाने के लिए लोग ज़ेर-ए-ख़ाक भी तो डूब जाते हैं 'अदीम' इक समुंदर ही नहीं है डूब जाने के लिए तू पस-ए-ख़ंदा-लबी आहों की आवाज़ें तो सुन ये हँसी तो आई है आँसू छुपाने के लिए कोई ग़म हो कोई दुख हो दर्द कोई हो 'अदीम' मुस्कुराना पड़ ही जाता है ज़माने के लिए