दर्द में दिल को मुब्तला कर के चल दिए आप क्या से क्या कर के उस से कुछ इस से मशवरा कर के आ गए दिल का फ़ैसला कर के इश्क़ था तो था तेरी चाहत थी दिल को देखा है आइना कर के वो भी क़ाएम था ज़िद पे आख़िर तक मर गए हम ख़ुदा ख़ुदा कर के चंद कलमात हो गए थे अता बेच डाले वही सुना कर के दिल को तोड़ा बहुत सलीक़े से गुदगुदा के मुझे हँसा कर के इत्तीफ़ाक़न मुझे हुआ था इश्क़ उम्र गुज़री दुआ दवा कर के उस ने कल ख़ूब सारी बातें की एक ही बात बस छुपा कर के बर्फ़ पर सो गया बदन तन्हा ज़ख़्म ताज़ा किए हवा कर के लज़्ज़त-ए-दर्द उफ़ सुब्हान-अल्लाह रात काटी है रतजगा कर के